* किस्मत की लकीरों में,
हजारों परछाइयां दिखाई देंगी।
किस-किस तरफ जाऊँ
यह बात सुनाई देंगी।
गर हो आंखों में आंसू
तारे भी धुंधली दिखाई देंगी।।
* कठिनाइयां है जीवन में,
चलना इसी डगर पे
भूल जाये रास्ते तो,
आगे खाई दिखाई देंगी।
गर हो आंखों में आंसू
तारे भी धुंधली दिखाई देंगी।।
* तुमने,देखा है चींटी को
चढती है कि फिसलती है
उसकी असफलता के आगे
सफलता दिखाई देंगी ।
गर हो आंखों में आंसू
तारे भी धुंधली दिखाई देंगी।।
* पहाडों से गिरते झरने
राहे खुद बना लेती है।
पथ कितनी भी हो कटिली
धार बना देंगी,
गर हो आंखों में आंसू
तारे भी धुंधली दिखाई देंगी।।
* तुम क्या सोच रहे हो
यह जीवन आसान नहीं है
जगाओ उल्लास अपने मन में,
जीवन को सार बना देंगी।
गर हो आंखों में आंसू
तारे भी धुंधली दिखाई देंगी ।।
* इस तरह क्यू लटके हो डाली मे
जीवन से डर डर के
क्या तुमने कभी सोचा है,
गिरेंगे जमीन पर तो
मालिन हार बना देंगी ।
गर हो आंखों में आंसू
तारे भी धुंधली दिखाई देंगी।।
-:केशव झा
रचयिता-केशव झा
सोनबरसा,बिहपुर,भागलपुर
Mo- 83 40 70 42 40
कॉपीराइटर- स्वंय सुरक्षित
नोट- इस रचना की नकल ना लिखें।
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